Thursday, July 14, 2011

बस एक सपना है...

तुम अपने सपनों में खुश हो, हम अपने सपने में खुश हैं |
सब सपनों में खुश हैं तो क्यों, ख़ुशी... बस एक सपना है |

पूरे मन से प्रेम किया, प्रेम ने मन को पूर्ण किया |
जब मनप्रेम परिपूर्ण है तो प्रेम क्यों... एक सपना है |

विरह ह्रदय पर है भारी, तन मन वियोग से भारी है |
है आकुलता का भार पर मिलना तो, बस एक सपना है |

Tuesday, October 26, 2010

वृन्दावन और द अल्कीमिस्ट

गए हफ्ते पाउलो कोएल्हो की रिकॉर्ड तोड़ ख्याति प्राप्त किताब "द अल्कीमिस्ट" पढ़ी। और उसी दौरान वृन्दावन जाने का मौका मिला। "द अल्कीमिस्ट" का सन्देश है कि प्रकृति में सब एक हैं, सब एक ही हाथ से बनाये गए हैं, सब की अपनी एक डेस्टिनी यानी मंजिल है जो कि "मक्तूब" यानी पहले से लिखी हुई है और सभी को उसी तरफ बढ़ते हुए जाना चाहिए।

कृष्ण की नगरी में कुछ ऐसे ही विचार मन में चलते रहे। सब अलग होते हुए भी कितने एक हैं। जैसे किसी का रचा एक प्ले हो जिसमें सब कुछ डायरेक्टड है। सब का एक रोल है और सभी निभाए जा रहे हैं।

खाने पीने वाले भक्तों की भूख मिटा रहे हैं और अपने परिवार के लिए इस तरह से धनार्जन कर रहे हैं। दानी लोग अपना परलोक सुधारने के लिए भिखारियों को यथाशक्ति दान दे रहे हैं और हर कोने में पड़े भिक्षु इस तरह अपने जीने का इंतेज़ाम कर पा रहे हैं। बंदरों का पेट भरने का अपना तरीका है, वे लोगों के चश्मे पर्स वगैरह छीन के ले जाते हैं और फिर बिस्किट का पैकेट आदि देने पर ही चीज़ वापिस करते हैं। उल्लेखनीय है कि कोई बन्दर कभी लोकल व्यक्ति का सामान लेकर नहीं भागता। ज़ाहिर है, पानी में रह कर मगरमच्छ से बैर नहीं करना चाहता। उधर पण्डे पुजारी भक्तों की मनोकामना पूरी होने की गारंटी देकर अपनी जेबें भर रहे हैं, वहीं आस्थावान भक्त भगवान के सर्व शक्तिमान होने के सत्य और वृन्दावन धाम की महिमा को बनाये रखे हुए हैं।

ऐसा लगा कि सब बंधे हुए हैं एक डोर से जैसा "द अल्कीमिस्ट" में अभी पढ़ा था। सब अपना रोल निभा रहे हैं और शायद खुश भी हैं। रामचरित मानस का यह हिस्सा याद हो आया जो कुछ हद तक लागू हो रहा था...
"सब गुणज्ञ पंडित सब ज्ञानी, सब कृतज्ञ नहीं कपट सयानी"

Tuesday, April 6, 2010

होली पर

सौरभ से होली पर मिला तो कुछ उदास था, और उदासी में उसको कविता करने की सूझती है...
"कहाँ रही वो होली यारो,
कहाँ रह गए सारे रंग,
अब बस... हम हैं, अकेले,
और एक नया दिन,
और एक नयी जंग।"

मैंने कहा, भाई आगे बढ़ने के साथ पुराना पीछे छूटना लाज़मी है। इस पर उसने एक ठंडी साँस ली और मुझे पीछे छोड़ कर आगे बढ़ गया।